Hindi Shayri
Best Shayari in Hindi
⭕
दिल से जो बात निकलती है,
असर रखती है।
पर नहीं, ताक़ते परवाज़
मगर रखती है।
असर रखती है।
पर नहीं, ताक़ते परवाज़
मगर रखती है।
⭕
अपना मायार ज़माने से जुदा रखते है,
हम तो महबूब भी
महबूब-ए-खुदा रखते है।
हम तो महबूब भी
महबूब-ए-खुदा रखते है।
⭕
अपने किरदार पर
डाल कर पर्दा इक़बाल,
हर शख्स कह रहा है
ज़माना खराब है।
डाल कर पर्दा इक़बाल,
हर शख्स कह रहा है
ज़माना खराब है।
⭕
सारे ही काम ज़रूरी थे ज़िन्दगी में,
एक इबादत ही हर बार टलती गई।
एक इबादत ही हर बार टलती गई।
⭕
कर ले तौबा रब की रहमत है बड़ी,
क़ब्र में वर्ना सज़ा होगी कड़ी।
क़ब्र में वर्ना सज़ा होगी कड़ी।
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मीर बंदों से काम कब निकला,
मांगना है जो कुछ ख़ुदा से मांग!
मांगना है जो कुछ ख़ुदा से मांग!
⭕
दवा की तलाश में रहा,
दुआ को छोड़कर।
मैं चल ना सका दुनिया में
खताओं को छोड़कर।
हैरान हूं मैं अपनी
हसरतों पर इक़बाल।
हर चीज़ खुदा से मांग ली
एक खुदा को छोड़कर।
-- अल्लामा इक़बाल
⭕
नहीं मायूस मैं अपने खुदा से .......।
दुआ को छोड़कर।
मैं चल ना सका दुनिया में
खताओं को छोड़कर।
हैरान हूं मैं अपनी
हसरतों पर इक़बाल।
हर चीज़ खुदा से मांग ली
एक खुदा को छोड़कर।
-- अल्लामा इक़बाल
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नहीं मायूस मैं अपने खुदा से .......।
बदल जाती है क़िस्मत भी दुआ से ।
⭕
देगें चढ़ी है, उसके एसाले सवाब को।
⭕
देगें चढ़ी है, उसके एसाले सवाब को।
वो शख्स जो मरा था, गली में भूख से।
⭕
शुक्रे खालिक़ अदा कर
आमदे मेहमान पर,
रिज़्क़ अपना खा रहा है
तेरे दस्तरख्वान पर।
⭕
मुझे इसका ग़म नहीं कि
बदल गया ज़माना,
मेरी ज़िंदगी के मालिक
तुम बदल न जाना।
⭕
अब तो घबरा के यह कहते है
कि मर जाएंगे,
मर के भी चैन ना मिला तो
किधर जाएंगे।
⭕
नाज़ है ताक़ते गुफ्तार पर
इंसानों को,
बात करने का सलीका नहीं
नादानों को।
⭕
अब आगए तो क्यों है जाने के तज़किरे,
अच्छी नहीं है बात खिज़ा की बहार में ।
⭕
इश्क़ में और कुछ नहीं मिलता
सैकड़ों ग़म नसीब होते है ।
⭕
याद रखो तो दिल के पास हूं मैं
भूल जाओ तो फ़ासले बहुत है।
⭕
यूं तो एक ही उल्लू काफ़ी है
बर्बाद ए गुलिस्तां के लिए,
हर शाख पे उल्लू बैठे है
अंजामे गुलिस्तां क्या होगा?
⭕
जुस्तजू जिसकी थी
उसको तो न पाया हमने,
इस बहाने से मगर
देख ली दुनिया हमने ।
⭕
आप सामने है तो
हमें कुछ भी नहीं याद,
वर्ना हमें आपसे कहना बहुत था।
⭕
याद रखना ही
मोहब्बत में नहीं सबकुछ,
भूल जाना भी बड़ी बात होती है।
⭕
मेरे अपने सब मुझे प्यार करते है ।
⭕
शुक्रे खालिक़ अदा कर
आमदे मेहमान पर,
रिज़्क़ अपना खा रहा है
तेरे दस्तरख्वान पर।
⭕
मुझे इसका ग़म नहीं कि
बदल गया ज़माना,
मेरी ज़िंदगी के मालिक
तुम बदल न जाना।
⭕
अब तो घबरा के यह कहते है
कि मर जाएंगे,
मर के भी चैन ना मिला तो
किधर जाएंगे।
⭕
नाज़ है ताक़ते गुफ्तार पर
इंसानों को,
बात करने का सलीका नहीं
नादानों को।
⭕
अब आगए तो क्यों है जाने के तज़किरे,
अच्छी नहीं है बात खिज़ा की बहार में ।
⭕
इश्क़ में और कुछ नहीं मिलता
सैकड़ों ग़म नसीब होते है ।
⭕
याद रखो तो दिल के पास हूं मैं
भूल जाओ तो फ़ासले बहुत है।
⭕
यूं तो एक ही उल्लू काफ़ी है
बर्बाद ए गुलिस्तां के लिए,
हर शाख पे उल्लू बैठे है
अंजामे गुलिस्तां क्या होगा?
⭕
जुस्तजू जिसकी थी
उसको तो न पाया हमने,
इस बहाने से मगर
देख ली दुनिया हमने ।
⭕
आप सामने है तो
हमें कुछ भी नहीं याद,
वर्ना हमें आपसे कहना बहुत था।
⭕
याद रखना ही
मोहब्बत में नहीं सबकुछ,
भूल जाना भी बड़ी बात होती है।
⭕
मेरे अपने सब मुझे प्यार करते है ।
सामने कोई नहीं आता,
पीछे से वार करते है ।
⭕
कशिश यह कैसी
तेरे हुस्न में नज़र आई,
निगाह जो भी गई
फिर न लौट कर आई ।
⭕
अब मैं समझा तेरे रुखसार पे
तिल का मतलब,
दौलत ए हुस्न पर
दरबान बिठा रखा है ।
⭕
क़तरे क़तरे को दहकान तरसता रहा,
और समंदर पर बादल बरसता रहा ।
⭕
भूल गया है ऐ दिल
प्यार के पुराने नतीजे।
कितने शहीद किए है
शमा ने परवाने ।
⭕
कितने शीरी है लब तेरे के रक़ीब,
गालियां खाकर भी बदमज़ा ना हुआ।
⭕
अदलो इन्साफ़ फक़त
हश्र पर मौकूफ़ नहीं,
ज़िंदगी खुद भी गुनाहों की
सज़ा देती है ।
⭕
घटे अगर तो बस
एक मुश्त खाक है इंसान,
बढ़े तो वुसअते कौनिन में
समा न सके।
⭕
हद से गुज़रना होता है
हर चीज़ का बुरा,
फैलाए पांव आदमी
चादर को देख कर ।
⭕
कर रहा हूं ग़मे ज़िंदगी का हिसाब,
आज तुम बेहिसाब याद आए।
⭕
हमसे अच्छी कहीं
आईने की किस्मत होगी।
रूबरू जिसके तेरी
चांद-सी सूरत होगी।
⭕
तुझे यक़ीन क्यों नहीं आया
मेरी वफ़ा पर ?
किस किस को नहीं छोड़ा
तुझे पाने की खातिर ।
⭕
दिल उसे दो, जो जान दे दे ।
जान उसे दो, जो दिल दे दे ।
⭕
वह जो करता है हुस्न की तखलीक,
हाय ! वह किसकदर हसीन होगा।
⭕
कुछ तो सुकून इस दिल को भी मिलता काश!
पीछे से वार करते है ।
⭕
कशिश यह कैसी
तेरे हुस्न में नज़र आई,
निगाह जो भी गई
फिर न लौट कर आई ।
⭕
अब मैं समझा तेरे रुखसार पे
तिल का मतलब,
दौलत ए हुस्न पर
दरबान बिठा रखा है ।
⭕
क़तरे क़तरे को दहकान तरसता रहा,
और समंदर पर बादल बरसता रहा ।
⭕
भूल गया है ऐ दिल
प्यार के पुराने नतीजे।
कितने शहीद किए है
शमा ने परवाने ।
⭕
कितने शीरी है लब तेरे के रक़ीब,
गालियां खाकर भी बदमज़ा ना हुआ।
⭕
अदलो इन्साफ़ फक़त
हश्र पर मौकूफ़ नहीं,
ज़िंदगी खुद भी गुनाहों की
सज़ा देती है ।
⭕
घटे अगर तो बस
एक मुश्त खाक है इंसान,
बढ़े तो वुसअते कौनिन में
समा न सके।
⭕
हद से गुज़रना होता है
हर चीज़ का बुरा,
फैलाए पांव आदमी
चादर को देख कर ।
⭕
कर रहा हूं ग़मे ज़िंदगी का हिसाब,
आज तुम बेहिसाब याद आए।
⭕
हमसे अच्छी कहीं
आईने की किस्मत होगी।
रूबरू जिसके तेरी
चांद-सी सूरत होगी।
⭕
तुझे यक़ीन क्यों नहीं आया
मेरी वफ़ा पर ?
किस किस को नहीं छोड़ा
तुझे पाने की खातिर ।
⭕
दिल उसे दो, जो जान दे दे ।
जान उसे दो, जो दिल दे दे ।
⭕
वह जो करता है हुस्न की तखलीक,
हाय ! वह किसकदर हसीन होगा।
⭕
कुछ तो सुकून इस दिल को भी मिलता काश!
तेरी याद का भी रोज़ा होता ।
⭕
देखा जो तीर खाकर गाह की तरफ़,
अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई।
⭕
दूसरों की बुराई जब किया कीजिए।
आईना सामने रख लिया कीजिए।
⭕
यह अजीब माजरा के
बरोज़े ईद ए क़ुर्बान,
वही ज़बह भी किए है
लिए सवाब उल्टा।
⭕
पिलाए आशकारा हमको
साक़िया किसकी चोरी?
खुदा की नहीं चोरी
तो बंदे की क्या चोरी ?
⭕
यह समझ के माना
सच तुम्हारी बातों को,
इतने खूबसूरत होंठ
झूठ कैसे बोलेंगे?
⭕
तेरे चेहरे की चमक सदा बनी रहे।
हंसी इन लबों पर हमेशा सजी रहे।
दूर रखे खुदा सारे गमों से तुझे।
खुशी तेरे दामन में सदा बनी रहे।
⭕
पढ़ी नमाज़ जनाज़े की मेरे क़ातिल ने,
गुनाह करके हुआ सवाब में दाखिल ।
⭕
उजाले अपनी यादों के
हमारे साथ रहने दो।
ना जाने किस गली में
ज़िंदगी की शाम हो।
⭕
सर झुकाने से नमाज़ तो अदा होती है,
दिल झुकाना भी ज़रूरी है
इबादत के लिए।
⭕
हाय! अजब ये दुनिया ए फ़ानी देखी।
हर चीज़ यहां आनी जानी देखी।
जो आके न जाए वह बुढापा देखा।
जो जाके न आए वह जवानी देखी।
⭕
कश्तियाँ सबकी किनारे लगती है,
नाखुदा ना हो उसका खुदा होता है।
⭕
गर ज़िन्दगी में जुदाई ना होती।
याद किसी की आई ना होती।
साथ गुज़रते हर लम्हे तो,
रिश्तों में यह गहराई ना होती।
⭕
सिर्फ़ एक क़दम राहे शौक़ में
उठा था गलत,
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूंढती रही।
⭕
नाहक़ है गिला हमसे
बेजा है शिकायत भी,
हम लौट के आ जाते
आवाज़ तो दी होती ।
⭕
आओ प्यारे हुनर आज़माए,
तू तीर आज़मा हम जिगर आज़माए।
⭕
तुम्हारी एक हंसी का जवाब देने को,
चमन में लाख बहारों ने गुल खिलाए है।
⭕
तेरे लबों के मुक़ाबिल
गुलाब क्या होगा?
तू लाजवाब है
तेरा जवाब क्या होगा?
⭕
नाज़ुकी उनके लबों की क्या कहिए,
एक कली है गुलाब की खिली हुई ।
⭕
ज़िंदगी तूने चैन से जीने ना दिया,
उलझने इतनी रही
जहर भी पीने ना दिया ।
⭕
मिलना किस काम का
अगर दिल ना मिले,
क्या लुत्फ उस सफ़र में
कि मंज़िल ना मिले।
⭕
हजारों खुशियां कम है
एक ग़म भुलाने को,
एक ही ग़म काफ़ी है
ज़िंदगीभर रुलाने को।
⭕
सुबह होती है, शाम होती है।
ज़िंदगी यूं ही तमाम होती है।
⭕
आपके आने से आ जाती है
चेहरे पर रौनक,
आप समझते है
बीमार का हाल अच्छा है।
⭕
अपना ज़माना आप
बनाते है अहल-ए-दिल,
हम वह नहीं जिनको
ज़माना बना गया।
⭕
हजारों थे ग़म और दिल था अकेला
अकेले को मिलकर हज़ारों ने लूटा।
⭕
अर्ज़ो समां कहां तेरी
वुसअत को पा सके,
एक मेरा ही दिल है
जहां तू समा सके।
⭕
इस दौरे पुरफ़रेब में अपना किसे कहे
यहां तो मिलकर गले काटते है लोग।
⭕
कभी भूल कर किसी से
ना करो सुलूक ऐसा,
के जो कोई तुमसे करता
तुम्हें नागवार होता।
⭕
उम्र-ए-दराज़ मांग कर
लाए थे चार दिन,
दो आरज़ू में कटे है
दो इंतज़ार में।
⭕
एक ही सफ़ में खड़े हो गए
महमूद व अय्याज़,
ना कोई बंदा रहा
ना कोई बंदा नवाज़।
⭕
तेरी यादों के चरागों का
उजाला है यहां,
वर्ना दुनिया में अंधेरों के सिवा
कुछ भी नहीं।
⭕
कल तरसते थे मुसलमान
मस्जिदों के लिए ।
आज मस्जिदे
मुसलमान को तरसती है ।
कल मस्जिदें कच्ची थी
तो पक्के थे नमाज़ी ।
आज मस्जिदें पक्की है
तो कच्चे है नमाज़ी ।
⭕
जुनून ए इश्क़ से तो
ख़ुदा भी ना बच सका,
तारीफ़ ए हुस्ने यार में
सारा क़़ुरआन लिख दिया ।
-अल्लामा इक़बाल
⭕
तेरी रहमतों पर है मुनहसिर,
मेरे हर अमल की क़ुबूलियत।
⭕
फ़ानूस बनके जिसकी
हिफ़ाज़त हवा करे,
वो शमा क्या बुझे
जिसे रौशन खुदा करे ।
⭕
तेरे नक्श-ए-पा का पता पानेवाले,
जहांभर के आक़ा वही रहनुमा है।
⭕
मोहब्बत में हम कुछ भी ना कर सके,
खैर तुमने कम से कम बेवफ़ाई तो की।
⭕
अंजामे वफ़ा यह है
जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ मांगी
जीने की सज़ा पाई।
⭕
रहती है कब बहारे जवानी तमाम उम्र,
मानिंद बू-ए-गुल इधर आई उधर गई।
⭕
कभी भूल कर किसी से
ना करो सुलूक ऐसा,
के जो कोई तुमसे करता,
तुम्हें नागवार होता।
⭕
सूरत यतीम की शौक शिकार का,
होता है बुरा हाल ऐसे चिडीमार का।
⭕
देखते ही तुझे कह उठा दिल,
मिल गई मुझे मेरी मंज़िल।
⭕
तेरी तस्वीर में यह बात
तुझसे भी निराली है,
जितना चाहो लिपटा लो
न गुस्सा है न गाली है।
⭕
नज़रें मेरी थक ना जाए
तेरा इंतज़ार करते-करते,
जान मेरी निकल न जाए
तुझसे इज़हार करते करते।
⭕
उभरने नहीं देती बेमायगी दिल की,
वर्ना कौन क़तरा है जो दर्या नहीं होता?
⭕
खत्म होगा ना कभी ज़िंदगी का सफर
मौत बस रास्ता बदलती है ।
⭕
मोहब्बत की नज़र और है,
अदावत की नज़र और ।
नज़र बदल गई तो,
नज़ारा बदल गया ।
⭕
देखा जो तीर खाकर गाह की तरफ़,
अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई।
⭕
दूसरों की बुराई जब किया कीजिए।
आईना सामने रख लिया कीजिए।
⭕
यह अजीब माजरा के
बरोज़े ईद ए क़ुर्बान,
वही ज़बह भी किए है
लिए सवाब उल्टा।
⭕
पिलाए आशकारा हमको
साक़िया किसकी चोरी?
खुदा की नहीं चोरी
तो बंदे की क्या चोरी ?
⭕
यह समझ के माना
सच तुम्हारी बातों को,
इतने खूबसूरत होंठ
झूठ कैसे बोलेंगे?
⭕
तेरे चेहरे की चमक सदा बनी रहे।
हंसी इन लबों पर हमेशा सजी रहे।
दूर रखे खुदा सारे गमों से तुझे।
खुशी तेरे दामन में सदा बनी रहे।
⭕
पढ़ी नमाज़ जनाज़े की मेरे क़ातिल ने,
गुनाह करके हुआ सवाब में दाखिल ।
⭕
उजाले अपनी यादों के
हमारे साथ रहने दो।
ना जाने किस गली में
ज़िंदगी की शाम हो।
⭕
सर झुकाने से नमाज़ तो अदा होती है,
दिल झुकाना भी ज़रूरी है
इबादत के लिए।
⭕
हाय! अजब ये दुनिया ए फ़ानी देखी।
हर चीज़ यहां आनी जानी देखी।
जो आके न जाए वह बुढापा देखा।
जो जाके न आए वह जवानी देखी।
⭕
कश्तियाँ सबकी किनारे लगती है,
नाखुदा ना हो उसका खुदा होता है।
⭕
गर ज़िन्दगी में जुदाई ना होती।
याद किसी की आई ना होती।
साथ गुज़रते हर लम्हे तो,
रिश्तों में यह गहराई ना होती।
⭕
सिर्फ़ एक क़दम राहे शौक़ में
उठा था गलत,
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूंढती रही।
⭕
नाहक़ है गिला हमसे
बेजा है शिकायत भी,
हम लौट के आ जाते
आवाज़ तो दी होती ।
⭕
आओ प्यारे हुनर आज़माए,
तू तीर आज़मा हम जिगर आज़माए।
⭕
तुम्हारी एक हंसी का जवाब देने को,
चमन में लाख बहारों ने गुल खिलाए है।
⭕
तेरे लबों के मुक़ाबिल
गुलाब क्या होगा?
तू लाजवाब है
तेरा जवाब क्या होगा?
⭕
नाज़ुकी उनके लबों की क्या कहिए,
एक कली है गुलाब की खिली हुई ।
⭕
ज़िंदगी तूने चैन से जीने ना दिया,
उलझने इतनी रही
जहर भी पीने ना दिया ।
⭕
मिलना किस काम का
अगर दिल ना मिले,
क्या लुत्फ उस सफ़र में
कि मंज़िल ना मिले।
⭕
हजारों खुशियां कम है
एक ग़म भुलाने को,
एक ही ग़म काफ़ी है
ज़िंदगीभर रुलाने को।
⭕
सुबह होती है, शाम होती है।
ज़िंदगी यूं ही तमाम होती है।
⭕
आपके आने से आ जाती है
चेहरे पर रौनक,
आप समझते है
बीमार का हाल अच्छा है।
⭕
अपना ज़माना आप
बनाते है अहल-ए-दिल,
हम वह नहीं जिनको
ज़माना बना गया।
⭕
हजारों थे ग़म और दिल था अकेला
अकेले को मिलकर हज़ारों ने लूटा।
⭕
अर्ज़ो समां कहां तेरी
वुसअत को पा सके,
एक मेरा ही दिल है
जहां तू समा सके।
⭕
इस दौरे पुरफ़रेब में अपना किसे कहे
यहां तो मिलकर गले काटते है लोग।
⭕
कभी भूल कर किसी से
ना करो सुलूक ऐसा,
के जो कोई तुमसे करता
तुम्हें नागवार होता।
⭕
उम्र-ए-दराज़ मांग कर
लाए थे चार दिन,
दो आरज़ू में कटे है
दो इंतज़ार में।
⭕
एक ही सफ़ में खड़े हो गए
महमूद व अय्याज़,
ना कोई बंदा रहा
ना कोई बंदा नवाज़।
⭕
तेरी यादों के चरागों का
उजाला है यहां,
वर्ना दुनिया में अंधेरों के सिवा
कुछ भी नहीं।
⭕
कल तरसते थे मुसलमान
मस्जिदों के लिए ।
आज मस्जिदे
मुसलमान को तरसती है ।
कल मस्जिदें कच्ची थी
तो पक्के थे नमाज़ी ।
आज मस्जिदें पक्की है
तो कच्चे है नमाज़ी ।
⭕
जुनून ए इश्क़ से तो
ख़ुदा भी ना बच सका,
तारीफ़ ए हुस्ने यार में
सारा क़़ुरआन लिख दिया ।
-अल्लामा इक़बाल
⭕
तेरी रहमतों पर है मुनहसिर,
मेरे हर अमल की क़ुबूलियत।
⭕
फ़ानूस बनके जिसकी
हिफ़ाज़त हवा करे,
वो शमा क्या बुझे
जिसे रौशन खुदा करे ।
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तेरे नक्श-ए-पा का पता पानेवाले,
जहांभर के आक़ा वही रहनुमा है।
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मोहब्बत में हम कुछ भी ना कर सके,
खैर तुमने कम से कम बेवफ़ाई तो की।
⭕
अंजामे वफ़ा यह है
जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ मांगी
जीने की सज़ा पाई।
⭕
रहती है कब बहारे जवानी तमाम उम्र,
मानिंद बू-ए-गुल इधर आई उधर गई।
⭕
कभी भूल कर किसी से
ना करो सुलूक ऐसा,
के जो कोई तुमसे करता,
तुम्हें नागवार होता।
⭕
सूरत यतीम की शौक शिकार का,
होता है बुरा हाल ऐसे चिडीमार का।
⭕
देखते ही तुझे कह उठा दिल,
मिल गई मुझे मेरी मंज़िल।
⭕
तेरी तस्वीर में यह बात
तुझसे भी निराली है,
जितना चाहो लिपटा लो
न गुस्सा है न गाली है।
⭕
नज़रें मेरी थक ना जाए
तेरा इंतज़ार करते-करते,
जान मेरी निकल न जाए
तुझसे इज़हार करते करते।
⭕
उभरने नहीं देती बेमायगी दिल की,
वर्ना कौन क़तरा है जो दर्या नहीं होता?
⭕
खत्म होगा ना कभी ज़िंदगी का सफर
मौत बस रास्ता बदलती है ।
⭕
मोहब्बत की नज़र और है,
अदावत की नज़र और ।
नज़र बदल गई तो,
नज़ारा बदल गया ।
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